साहित्य अमृत के फरवरी अंक में मेरी कहानी "वीडियो गेम" चीनू की आँखों से लगातार पानी निकल रहा था पर चीनू की आँखें वीडियो गेम पर टिकी हुई थीI वह एक हाथ से बार-बार अपनी आँखें मसलता और फ़िर अपना चश्मा ठीक करते हुए तेजी से बटन दबाना शुरू कर देताI जैसे ही उसने दसवाँ लेवल पार कर लियाI वह ख़ुशी से उछल पड़ा और सोफ़े पर ही कूदने लगाI उसका चीखना सुनकर उसकी मम्मी घबराई सी भागते हुए आई और बोली-"क्या हुआ, कहीं चोट लग गई क्या?" चीनू हवा में वीडियो गेम लहराता हुआ बड़ी शान से बोला-"ना जाने कितने दिनों की मेहनत के बाद आज जाकर बड़ा कठिन लेवल पार कर पाया हूँI आज जाकर मुझे पता चला कि मेरा का कोई जवाब ही नहीं हैI मैं "बेस्ट" हूँI मम्मी बेचारी अपना सिर पकड़ कर बैठ गई और बोली-" तुम्हारी ऐसी पागलपन के कारण रोज़ स्कूल से तुम्हारी कोई ना कोई शिकायत आती ही रहती हैI बारह साल की उम्र में ही इतना मोटा चश्मा लगाए घूमा करते हो, उसके बाद भी तुम्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ताI" "अरे मम्मी, आपको नहीं पता कि इसमें कितना मजा आता है बस आराम से सोफ़े पर बैठे बैठे आपके हाथ के कुरकुरे चिप्
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ग्लोइंग बटरफ्लाई शाम गहराने होने लगी थी और नीलू तितली का कहीँ भी अता पता नहीँ था उसकी दोस्त पीलू तितली अपने खूबसूरत पीले पंखोँ को फैलाएँ उसे बगीचे के एक कोने से दूसरे कोने पर ढूंढ रही थी "नीलू..नीलू" कहाँ हो तुम कहते हुए पीलू तेजी से उड़ते हुए हर फूल को बहुत ध्यान से देख रही थी I तभी अचानक उसकी नजर बाग़ के कोने में एक खूबसूरत नीले फूल पर पड़ी,जिस पर नीलू तितली बैठी हुई थी I वह उसकी ओर उड़ चली और नीलू के पास पहुँचकर नाराज़ होते हुए बोली-" हमारी सब सहेलियाँ वापस जा चुकी है और मैं तुम्हें कितनी देर से ढूंढ रही हूँ I " नीलू पीलू की बातों से बेखबर उस बेहद खूबसूरत फूल में ही खोई हुई थी, जिसकी नीली मुलायम पंखुड़ियों में सुनहरी महीन धारियाँ बनी हुई थी I नीलू..अबकी बार पीलू तेज़ स्वर में बोली अरे पीलू, देखो तो जरा,ये गहरे नीले रंग का फूल कितना खूबसूरत है मैंने इसे आज ही देखा I" नीलू ख़ुशी होते हुए बोली "हाँ, है तो बेहद सुन्दर,तुम्हारे नीले पंख इस नीले फूल की पंखुड़ी मेँ बिलकुल छुप गए थे, इसलिए मैँ तुम्हें देख ही नहीँ पा रही थी I अब जल्दी चलो वरना अँधेरा हो
बाल किलकारी के अगस्त अंक में मेरी कहानी "राखी और चश्मे वाली पतंग" "कितनी दूर तक जाती है ये पतंग?" आठ साल का भोला आसमान की ओर देखते हुए, अपनी आँखें चुंधियाते हुए बोला "बहुत दूर...इतनी दूर कि अपने गाँव के साथ साथ अगल बगल के गाँव वाले भी देख लेते होंगेI" उसका दोस्त गोलू बोला "तो फ़िर क्या मेरी दीदी भी देख लेगी?" भोला ने पतंग से नज़रे हटाकर गोलू पर गड़ा दी अचानक पूछे गए सवाल से गोलू हड़बड़ा गया और बोला-"हाँ..हाँ...क्यों नहीं, जब पूरा गाँव देख लेता है तो तेरी दीदी भी देख लेगीI" "पता है पूरे दो साल हो गए है, उनकी शादी को, तबसे एक बार भी राखी पर नहीं आ पाईI" भोला रुंधे गले से बोला "तो तू क्यों नहीं चला जाता है?" गोलू ने फ़िर से पतंग को देखते हुए कहा जो अब एक लाल पतंग के बगल में उड़ रही थीI "बाबूजी को इस समय खेत में बहुत काम रहता है और फ़िर मैं तो इतना छोटा हूँ, अकेले जा नहीं सकताI" भोला ने दुखी होते हुए जवाब दिया "तो फ़िर, तू क्या पतंग पर चढ़कर जाएगा?" गोलू ने हँसते हुए कहा "नहीं, मैं पतंग
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