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Showing posts from August, 2018
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नंदन के सितंबर अंक में मेरी कहानी "पीलू का बर्थडे" अप्पू हाथी रोज़ की तरह अकेला बैठा थाI अब वह किसी के घर नहीं जाता था और चुपचाप अकेले ही बैठा रहता थाI क्योंकि अप्पू जब भी मस्ती मजाक के मूड में आता तो दौड़ने भागने में उसके भारी भरकम शरीर के नीचे दबकर बहुत सारे खिलौने टूट जाते थेI कुछ दिनों पहले ही वह पीलू हिरन के घर खेलने के लिए गया थाI पीलू के घर पर मोंटू बन्दर, बिन्नी बकरी, व्हाइटी बिल्ली और बनी भालू भी थाI तभी पीलू ने अलमारी से बहुत सुन्दर वीडियो गेम निकला, जो उसके मामा सिंगापुर से लेकर आये थेI लाल और नीले रंग का वीडियो गेम रौशनी में चमचमा रहा थाI सभी दोस्त उसको हाथ में लेकर कम से कम एक बार तो ज़रूर खेलना चाहते थे, पर पीलू ने बताया कि मम्मी ने अभी उसमें सैल नहीं डाले है और वह अभी मम्मी से सैल लेकर आएगा फ़िर सब मिलकर उससे खेलेंगेI यह सुनकर उसके सभी दोस्त बहुत खुश हो गएI पीलू ने वीडियो गेम को उनके बीच में रखा और मम्मी को बुलाने के लिए कमरे से बाहर चला गयाI हँसी मज़ाक में अप्पू को ध्यान ही नहीं रहा कि वीडियो गेम ज़मीन पर रखा है और वह जैसे ही खड़ा हुआ उसका पैर वीडियो गेम पर पड़ गय
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मेरी कहानी "गोलू की राखी" आज गोलू रूठा थाI राखी के दिन भाई रूठा तो बहन भी उसके पीछे पीछे दौड़ कर उसे मना रही थीI सात साल का गोलू वैसे तो किसी बात पर रूठता नहीं था पर आज बात ही कुछ और थीI मम्मी ने जब राखी की थाली तैयार की और मुन्नी को राखी पकड़ाई तो गोलू भाग खड़ा हुआI बेचारी मुन्नी राखी लेकर उसके पीछे दौड़ीI थोड़ी देर बाद दोनों ही हाँफ गए और थक हार कर बैठ गएI मुन्नी गोलू से सिर्फ़ एक साल ही बड़ी थी पर बड़े बुजुर्गों की तरह गोलू से बोली-"बता तो, आख़िर बात क्या है?" "राखी देखी है अपनी!" गोलू ने गोल-गोल गाल गुस्से में फुलाते हुए कहा "हाँ...कितनी सुन्दर तो हैI" मुन्नी चमकीले गोटे वाली राखी को निहारते हुए बोली "पर डोरेमॉन वाली तो नहीं है नाI" गोलू ने राखी की ओर देखते हुए कहा "तो क्या हुआ, ये भी तो कितनी सुन्दर हैI" मुन्नी ने गोलू को मनाते हुए कहा "बस नहीं बँधवानी है बिना डोरेमॉन वाली राखी, तो नहीं बँधवानी हैI" गोलू ने कहा और दौड़ता हुआ बाहर चला गया सामने ही किराने वाले शर्मा अंकल की दुकान थीI त्यौहार के कारण
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आज के बाल भास्कर में मेरी कहानी "हैप्पी टीचर्स-डे" हिंदी वाले सर के स्कूल छोड़ने के बाद सातवीं क्लास के नए हिंदी टीचर आ गए थे , बंसी शर्मा I   जब भी क्लास में शर्मा सर थोड़ी देर से आते तो बच्चे उनके नाम का मजाक उड़ाया करते थे I शैतानी में सबसे आगे रहने वाले सागर ने तो उन्हें बंसी मैडम ही कहना शुरू कर दिया था I दरअसल सागर की माँ नहीं थी और पापा घर संभालने के साथ साथ ऑफ़िस भी जाते थे I पर सुबह से रात तक बाहर काम करने के कारण वह सागर की पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाते थे और उन्होंने उसके लिए एक ट्यूशन भी   लगवा दी थी I ट्यूशन में भी सागर ने दो चार दिन तो ठीक से पढ़ा पर फ़िर उसने पढ़ाई की जगह खेलना कूदना और नदी में जाकर तैरना अच्छे से सीख लिया था I किसी भी सवाल का जवाब नहीं देने के कारण उसे हर दूसरे पीरियड में कक्षा के बाहर खड़ा कर दिया जाता I       यह सज़ा उसकी मनपसंद सजा थी I वह दबे पाँव खेल के मैदान की ओर चल देता