आज के बाल भास्कर में मेरी कहानी "हैप्पी टीचर्स-डे"


हिंदी वाले सर के स्कूल छोड़ने के बाद सातवीं क्लास के नए हिंदी टीचर गए थे, बंसी शर्माI
 जब भी क्लास में शर्मा सर थोड़ी देर से आते तो बच्चे उनके नाम का मजाक उड़ाया करते थेI शैतानी में सबसे आगे रहने वाले सागर ने तो उन्हें बंसी मैडम ही कहना शुरू कर दिया थाI
दरअसल सागर की माँ नहीं थी और पापा घर संभालने के साथ साथ ऑफ़िस भी जाते थेI पर सुबह से रात तक बाहर काम करने के कारण वह सागर की पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाते थे और उन्होंने उसके लिए एक ट्यूशन भी  लगवा दी थीI
ट्यूशन में भी सागर ने दो चार दिन तो ठीक से पढ़ा पर फ़िर उसने पढ़ाई की जगह खेलना कूदना और नदी में जाकर तैरना अच्छे से सीख लिया थाI
किसी भी सवाल का जवाब नहीं देने के कारण उसे हर दूसरे पीरियड में कक्षा के बाहर खड़ा कर दिया जाताI     
यह सज़ा उसकी मनपसंद सजा थीI वह दबे पाँव खेल के मैदान की ओर चल देता वहाँ पर खूब धमाचोकड़ी मचाताI
घंटी बजने से कुछ ही देर पहले वापस आकर  खड़ा हो जाताI
शर्मा सर के सरल स्वभाव और पढ़ाने  के तरीके को देखकर सभी बच्चे उन्हें बेहद प्यार करने लगे थेI
कठिन शब्दों और व्याकरण को वह मज़ेदार किस्से की तरह  सुनातेI
एक दिन शर्मा सर कॉरिडोर से निकल रहे थे कि तभी सागर अपने दोस्त अमित के साथ गुज़राI
सर को देखते ही सागर अमित से  बोला-" मैंने रात भर जागकर सारे पर्यायवाची याद किये हैI"
अमित ने हँसते हुए कहा-"तो जरा एक दो मुझे भी सुना देI"
सागर ने जोर से कहा-"बंसी का पर्यायवाची है, बाँसुरी,मुरली, वेणु, वंशिकाI"
अमित को काटो तो खून नहींI उसने सपने में नहीं सोचा था की सागर, शर्मा सर के नाम का मजाक उड़ाने के लिए पर्यायवाची शब्द बताने के लिए कह रहा हैI
शर्मा सर उनके पास आये और मुस्कुराते हुए सागर से बोले-"तुमने तो सच में बहुत पढ़ाई की हैI और क्या पढ़ा है बंसी के बारे में..."
सागर बोला-"बाँसुरी सबसे प्राचीन संगीत वाद्य भी कहलाता है और हरिप्रसाद चौरसिया जी का बाँसुरी वादन विश्व प्रसिद्ध हैI"
शर्मा सर बोले-"कल बंसी के बारें में और जानकारी लानाI"
सागर को तो मुंहमांगी मुराद मिल गईI उसने सोचा अब वह सर के सामने ही उन्हें बंसी के बारें में बताता रहेगा और वह सबकुछ जानते हुए भी उसे कुछ नहीं कह पाएंगेI
पढ़ाई के बीच में भी वह जानबूझकर सर को बंसी के बारें में बताता और सभी बच्चों को उसका यह बर्ताव बहुत बुरा लगताI 
 कुछ ही दिनों बाद शिक्षक दिवस थाI बहुत बच्चों ने नृत्य, गायन, वाद विवाद जैसी अनेक प्रतियोगिताओं में भाग लिया थाI
शिक्षक दिवस के दिन सभी बच्चे एक से बढ़कर एक कार्यक्रम प्रस्तुत कर रहे थेI
तभी प्रिंसिपल सर ने स्टेज पर आकर बोला-"शर्मा सर के कहने पर आज एक बिनई तरह की प्रतियोगिता आयोजित की गई है, जिसमें बच्चों को हमारे प्राचीन वाद्य यंत्रों के बारें में जानकारी देनी हैI"
बच्चे यह सुनकर खुश हो गए और तुरंत स्टेज पर जाकर टेबल, हारमोनियम, सितार,वीणा आदि के बारें में बताने लगेI
जब प्रिंसिपल सर विजेता बच्चें का नाम बताने के लिए आगे आये तो शर्मा सर माइक पर बोले-"सागर, स्टेज पर आओI"
अपना नाम सुनकर सागर सन्न खड़ा रह गयाI शर्मा सर के दुबारा बुलाने पर वह स्टेज पर गयाI
शर्मा सर ने प्यार से कहा-"बंसी के बारें में कुछ नहीं बताओगे?"
शर्म और ग्लानि से सागर की आँखें भर आईI उसने भर्राये गले से बाँसुरी के बारें में बताना शुरू किया और लगातार बोलता रहाI
जब उसने अपनी बात ख़त्म की तो पूरा हाल तालियों से गड़गड़ा उठाI
सागर ने शर्मा सर की ओर देखा जो अपने ख़ुशी के आँसूं पोंछते हुए उसे ही देख रहे थेI 
वह दौड़ा ओर उनके पैरों से लिपटकर फूट फूट कर रोने लगाI सिसकियों के बीच बस एक आवाज़ सुनाई दे रही थी,"हैप्पी टीचर्स डे सर..."

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