साहित्य अमृत के फरवरी अंक में मेरी कहानी "वीडियो गेम"
चीनू की आँखों से लगातार पानी निकल रहा था पर चीनू की आँखें वीडियो गेम पर टिकी हुई थीI वह एक हाथ से बार-बार अपनी आँखें मसलता और फ़िर अपना चश्मा ठीक करते हुए तेजी से बटन दबाना शुरू कर देताI
जैसे ही उसने दसवाँ लेवल पार कर लियाI वह ख़ुशी से उछल पड़ा और सोफ़े पर ही कूदने लगाI
उसका चीखना सुनकर उसकी मम्मी घबराई सी भागते हुए आई और बोली-"क्या हुआ, कहीं चोट लग गई क्या?"
चीनू हवा में वीडियो गेम लहराता हुआ बड़ी शान से बोला-"ना जाने कितने दिनों की मेहनत के बाद आज जाकर बड़ा कठिन लेवल पार कर पाया हूँI आज जाकर मुझे पता चला कि मेरा का कोई जवाब ही नहीं हैI मैं "बेस्ट" हूँI
मम्मी बेचारी अपना सिर पकड़ कर बैठ गई और बोली-" तुम्हारी ऐसी पागलपन के कारण रोज़ स्कूल से तुम्हारी कोई ना कोई शिकायत आती ही रहती हैI बारह साल की उम्र में ही इतना मोटा चश्मा लगाए घूमा करते हो, उसके बाद भी तुम्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ताI"
"अरे मम्मी, आपको नहीं पता कि इसमें कितना मजा आता है बस आराम से सोफ़े पर बैठे बैठे आपके हाथ के कुरकुरे चिप्स खाओ और वीडियो गेम खेलोI मैं तो कहता हूँ कि आप भी खेलना सीख लोI"
मम्मी गुस्से से बोली-" मैं तुम्हें फ़िर से याद दिला दूँ कि कल पापा तुम्हें दादी के यहाँ छोड़ने जाएँगेI अपना सारा ज़रूरी सामान पैक करके ध्यान से रख लेनाI"
यह सुनकर चीनू कुछ सोचते हुए बोला-"पर मैं अपना वीडियो गेम साथ में ले जाऊँगाI"
उसकी मम्मी कमरे से बाहर जाते हुए बोली-"ठीक है, वीडियो गेम सबसे पहले रखना, भले ही सारा सामान छूट जाएI"
मम्मी का चेहरा देखकर चीनू समझ गया कि मम्मी उससे बहुत नाराज हैंI
वह थोड़ी देर तो उदास रहा पर फ़िर अपना मूड फ्रेश करने कि लिए गेम का अगला लेवल पार करने के लिए बैठ गयाI
गेम खेलने की आदत को बहुत छोड़ ही नहीं पा रहा थाI अगले ही दिन पापा उसे दादी के पास गाँव छोड़ कर वापस चले आएI
चीनू ख़ुशी के मारे दादी से लिपट गयाI वह जानता था कि दादी के यहाँ रहकर वह जितनी चाहे उतनी मस्ती कर सकता हैI दादी उसे किसी भी बात में रोकती टोकती नहीं थीI
वह अपना वीडियो गेम दादी को दिखाने के लिए सोच ही रहा था कि दादी आश्चर्य से बोली-"तू इतना मोटा हो गया है और तुझे यह इतना मोटा चश्मा कब लग गया! अभी से तेरी आँखें ऐसी हो गई है तो बाद में तेरा क्या होगा?"
जब तक चीनू कुछ जवाब देता, दरवाजे की घंटी बज उठीI
दादी जैसे ही आगे बढ़ी चीनू दौड़ता हुआ गया और दरवाज़ा खोल दियाI
अपने सामने उसकी ही उम्र बहुत सारे बच्चों को देखकर चीनू ने दादी की तरफ़ देखाI
दादी बच्चों को देखकर खुश हो गई और बोली-"आज यह नटखट टोली मेरे पास क्यों आ गई है?"
तभी उनमें से एक लड़का मुस्कुराते हुए बोला-"दादी, आज मेरा जन्मदिन हैI घर में एक छोटी सी पार्टी रखी हैI आप ज़रूर आना और तुम भी ...उस लड़के ने चीनू की तरफ़ देखते हुए कहा
"हाँ..हाँ..हम दोनों जरूर आएँगेI" दादी ने प्यार से उस लड़के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा
उन बच्चों के जाने के बाद चीनू ने थोड़ा सा खाना खाया और अपने वीडियो गेम में गेम खेलने लगाI
दादी ने उससे कई बार बात करने की कोशिश करी पर वह अपने गेम में पूरी तरह डूबा हुआ था और दादी को सिर्फ़ हाँ या ना में ही जवाब दे रहा थाI आख़िर दादी कब तक अकेले बोलती, हारकर वह भी उसके पास से उठकर चली गईI
कहाँ तो उन्होंने सोचा था कि चीनू के आने पर उसे ढेर सारे किस्से कहानियाँ सुनाएँगी, उसके दोस्तों की बारें में मजेदार बातें सुनेंगी पर चीनू ने तो जैसे वीडियो गेम के बाहर की दुनियाँ को देखना और सुनना ही छोड़ दिया थाI
शाम को दादी तैयार होकर चीनू के कमरे में आईI उन के हाथ में एक बड़ा सा डिब्बा था ,जो लाल रंग की चमकीली पन्नी में पैक किया हुआ थाI वह चीनू को आवाज़ देते हुए उस के पास आई और बोली-"चलो. शांतनू की बर्थडे पार्टी में चलते हैI"
"नहीं दादी, मैं कहीं नहीं जाऊँगाI मुझे नींद आ रही हैI" चीनू उनींदा सा बोला
दिन भर वीडियो गेम खेलने के बाद अब उसकी आँखों में जलन हो रही थीI
पर दादी चीनू को जबरदस्ती उठाते हुए बोली-"जल्दी चलो, वरना "रिटर्न गिफ़्ट" के सारे वीडियो गेम खत्म हो जाएँगेI"
चीनू ने दादी का हाथ पकड़ते हुए आश्चर्य से कहा-"तो क्या वह सबको वीडियो गेम दे रहा है?"
"हाँ...लगता तो ऐसा ही है क्योंकि कल उसके पापा बगल वाली दूकान से ढेर सारे वीडियो गेम खरीद रहे थेI" दादी ने कुछ सोचते हुए कहा
बस फ़िर क्या थाI दादी को दुबारा कहने की जरुरत ही नहीं पड़ीI कुछ ही मिनटों बाद चीनू तुरँत तैयार हो गया और दादी का हाथ पकड़कर चल दियाI
जब वे दोनों शांतनू के घर पहुंचे तो शांतनू और और उसके मम्मी पापा ने बड़े ही प्यार से उन दोनों का स्वागत कियाI
दादी शांतनू को तोहफ़ा पकड़ाकर उससे बात करनी लगीI
शांतनू ने मुस्कुराते हुए अपने गिफ़्ट को मम्मी को पकड़ा दिया और चीनू का हाथ पकड़कर उसे अपने दोस्तों से मिलवाने चला गया
थोड़ी देर तक सभी बच्चे हँसी मजाक के साथ साथ स्नेक्स वगैरह खाते रहेI
थोड़ी देर बाद शांतनू के पापा बोले-"चलो, अब हम सब लोग कुछ मजेदार गेम्स खेलेंगेI"
गेम्स की बात आते ही सभी बच्चों के चेहरे ख़ुशी से खिल उठेI
आज हम एक नए तरह का एटलस खेलेंगे, जिसमें देश, शहर,घर में उपयोग होने वाले सामान और या फ़िर मुहावरें, कुछ भी हो सकते हैI"
"अरे वाह..यह तो एक बिलकुल नए तरह का गेम होगाI " ऋषि हँसते हुए बोला
"तब तो इसमें बहुत मजा आएगाI " कहते हुए मिहिर तुरँत शांतनू के पापा के पास सरककर बैठ गयाI
गेम स्टार्ट करते हुए उन्होंने सबसे पहले "सी" शब्द दिया और सोनू को एक देश बताने के लिए कहा
सोनू तुरँत कूदते हुए बोला-"कॉमरोस"
हाहाहा..चीनू हँसते हुए बोला-"कॉमरोस" तो "क" से शुरू होता है और यह "सी" से बता रहा है
यह सुनकर सभी बच्चे चीनू का मुँह देखने लगे
शांतनू बोला-"comoros"
चीनू शर्मिंदा हो उठाI
"चलो चीनू अब तुम "एस" से किसी औजार का नाम बताओ क्योंकि अब तुम्हारी टर्न हैI" मोनू ने कहा
चीनू सोचने लगाI पर उसे तो कुछ भी याद नहीं आ रहा थाI उसने सिर नीचे कर लिया
उसके बगल में बैठा मोनू तुरँत बोला-"सॉ..यानी आरी "
बस फ़िर क्या थाI एक के बाद एक प्रश्न उत्तर होने लगेI सभी बच्चों को इस खेल में बड़ा मजा आ रहा था सिवा चीनू के ..वह बिलकुल अलग थलग पड़ गया थाI
चीनू ने देखा कि बच्चे सरककर उससे आगे बैठ गए थे और सबका एक गोला बन गया था जहाँ पर सब हँस रहे थे जवाब दे रहे थे और खुश हो रहे थेI पर चीनू को कुछ भी नहीं आता था यहाँ तक कि जो उसके कोर्स में था वह भी नहीं ..
उसने कभी वीडियो गेम खेलने के अलावा कुछ किया ही नहीं था
उसने दादी की ओर देखा जो बहुत उदास नज़र आ रही थी और उसकी ओर ही देख रही थीI
अचानक वह उठा और दादी के पास जाकर बोला-"मेरी तबीयत ठीक नहीं लग रही हैI आप प्लीज़ घर चलिएI"
यह कहते हुए चीनू का गला भर्रा गया और आँखें डबडबा उठी
दादी ने उसका हाथ पकड़ा ओर शांतनू की मम्मी से बोली-"हम लोग चलते हैI"
शांतनू की मम्मी भी बहुत देर से चीनू को देख रही थीI वह सारी बात तुरँत समझ गई और उन्होंने
चीनू के हाथ में वीडियो गेम पकड़ाते हुए कहा-"यह तुम्हारा "रिटर्न गिफ़्ट"
चीनू ने काँपते हाथों से वीडियो गेम पकड़ा और दादी के साथ बाहर आ गया
रास्ते भर दादी और चीनू कुछ नहीं बोलेI पर दादी जानती थी कि चीनू रो रहा हैI
दादी उसका हाथ पकड़े सड़क पार करने के लिए खड़ी थी कि तभी चीनू को उसकी उम्र का ही एक बच्चा दिखा जो सड़क के किनारे बैठा था और टकटकी लगाए चीनू के वीडियो गेम को देख रहा थाI
कुछ देर बाद, सड़क पार करते ही चीनू उसकी ओर बढ़ा और उसने वीडियो गेम उस बच्चे की तरफ़ बढ़ा दियाI
बच्चा ने झट से चीनू के हाथ से वीडियो गेम ले लिया और हँस दियाI चीनू ने दादी की ओर देखा जो साड़ी के पल्लू से ख़ुशी के आँसूं पोंछ रही थीI
चीनू और दादी ने देखा कि बच्चे की हाथ में वीडियो गेम पकड़ते ही उस के आस पास ढेर सारे बच्चे आकर इकठ्ठा हो गए थे और बारी बारी से अपने हाथों में लेकर वीडियो गेम देख रहे थेI
दादी और चीनू मुस्कुराते हुए वहाँ से चल पड़े सामने बनी एक दुकान की ओर, जहाँ पर ढेर सारी रंग बिरंगी किताबें दूर से ही नज़र आ रही थीI

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