नंदन के सितंबर अंक में मेरी कहानी "पीलू का बर्थडे"
अप्पू हाथी रोज़ की तरह अकेला बैठा थाI अब वह किसी के घर नहीं जाता था और चुपचाप अकेले ही बैठा रहता थाI क्योंकि अप्पू जब भी मस्ती मजाक के मूड में आता तो दौड़ने भागने में उसके भारी भरकम शरीर के नीचे दबकर बहुत सारे खिलौने टूट जाते थेI कुछ दिनों पहले ही वह पीलू हिरन के घर खेलने के लिए गया थाI पीलू के घर पर मोंटू बन्दर, बिन्नी बकरी, व्हाइटी बिल्ली और बनी भालू भी थाI
तभी पीलू ने अलमारी से बहुत सुन्दर वीडियो गेम निकला, जो उसके मामा सिंगापुर से लेकर आये थेI लाल और नीले रंग का वीडियो गेम रौशनी में चमचमा रहा थाI
सभी दोस्त उसको हाथ में लेकर कम से कम एक बार तो ज़रूर खेलना चाहते थे, पर पीलू ने बताया कि मम्मी ने अभी उसमें सैल नहीं डाले है और वह अभी मम्मी से सैल लेकर आएगा फ़िर सब मिलकर उससे खेलेंगेI
यह सुनकर उसके सभी दोस्त बहुत खुश हो गएI पीलू ने वीडियो गेम को उनके बीच में रखा और मम्मी को बुलाने के लिए कमरे से बाहर चला गयाI हँसी मज़ाक में अप्पू को ध्यान ही नहीं रहा कि वीडियो गेम ज़मीन पर रखा है और वह जैसे ही खड़ा हुआ उसका पैर वीडियो गेम पर पड़ गयाI कटाक की आवाज़ के साथ ही वीडियो गेम के कई टुकड़े हो गएI अप्पू यह देखकर बहुत घबरा गया और वह कुछ बोलता इसके पहले ही हाथ में सैल पकड़े पीलू कमरे में आ गयाI
अपने नए वीडियो गेम को टूटा देखकर उसने अप्पू से लड़ना शुरू कर दिया और फ़िर जोर-जोर से रोने लगाI पीलू को सभी दोस्तों के साथ-साथ उसकी मम्मी ने भी बहुत समझाने की कोशिश की पर पीलू ने अप्पू को घर से तुरँत निकल जाने के लिए कहाI पीलू के दोस्तों को वीडियो गेम टूटने का दुःख तो बहुत हुआ था पर बेचारे अप्पू को उसकी अनजाने में हुई गलती के लिए इतना डाँटा जाना बहुत बुरा लग रहा थाI अप्पू बार बार माफ़ी माँग रहा था पर पीलू ने उसे घर से निकाल कर ही दम लियाI
पीलू की मम्मी ने उसे डाँटते हुए कहा था-"वह तुमसे भी टूट सकता था और तुमने भी आज तक ढेर सारे खिलौने तोड़े हैI गलती तो किसी से भी हो सकती हैI"
पर पीलू बिना कोई जवाब दिए वापस अपने कमरे में चला गया था सभी दोस्तों का मन भी अब वहाँ रुकने का बिलकुल नहीं कर रहा था इसलिए वह सब भी अपने अपने घर चले गएI अप्पू बेचारा अब अकेले ही बैठा रहता था, अगर उसका कोई दोस्त उसे बुलाने भी आता तो वह मना कर देता थाI अप्पू बिलकुल भी नहीं चाहता था कि उसकी वजह से किसी का भी कोई नुकसान होI
अप्पू बैठा हुआ पीलू के बारे में सोच ही रहा था कि अचानक वहाँ से मोंटू बन्दर निकला और बोला-"अप्पू, तुम यहाँ अकेले बैठे क्या कर रहे होI पता है आज पीलू का जन्मदिन हैI"
अप्पू यह सुनकर धीरे से मुस्कुरा दिया
तभी मोंटू बोला-"पता है पीलू बहुत दुखी हैI उसने हम सबके लिए "रेन डाँस" का कार्यक्रम रखा था पर पता नहीं कैसे अब उसका यहाँ का फ़व्वारा ही नहीं चल रहाI"
"अरे, तो तुम कहाँ दौड़े चले जा रहे हो?" अप्पू ने पूछा
"मै तो जा रहा हूँ...टिंकू लोमड़ी को बुलाने के लिए, वह प्लम्बर है नाI"
"पर टिंकू तो तीन दिन के लिए बाहर गई हुई हैI उसने मुझे कल ही बताया थाI"
"ओह..बेचारा पीलू तो बहुत दुखी हो जायेगाI उसने तो रेन डाँस के लिए वहाँ पर रंगबिरंगे छाते, प्लास्टिक की बहुत सुन्दर मछलियाँ और बहुत बड़ा सा लाउडस्पीकर भी लाकर रखा है, ताकि हम सब खूब मस्ती कर सकेI"
अप्पू भी यह सुनकर दुखी हो गयाI
तभी मोंटू बोला-"अच्छा, मै अब चलता हूँI"
अप्पू कुछ कहे इसके पहले ही मोंटू उछलता कूदता हुआ वहाँ से चला गयाI
अप्पू कुछ देर सोचता रहा फ़िर वह भी पीलू के घर की ओर चल पड़ाI
जब अप्पू पीलू के घर पहुँचा तो उसके सभी दोस्त बाहर ही पीलू के साथ फ़व्वारे के पास मुँह लटकाये खड़े थेI
सभी दोस्त आश्चर्य से अप्पू को देखे जा रहे थे क्योंकि उन्हें लगा था की अप्पू पीलू से बहुत नाराज़ होगा और फ़िर पीलू ने उसे बुलाया भी नहीं थाI तभी अप्पू ने इशारे से मोंटू को अपने पास बुलाया और उसके कान में धीरे से कुछ कहा, जिसे सुनकर मोंटू बहुत खुश हो गया और वह दौड़ता हुआ गया और खूब तेज आवाज़ में म्यूज़िक चला दियाI कोई कुछ समझ पाता इसके पहले ही अप्पू ने फ़व्वारे के पास पड़े टैंक से सूंढ़ में पानी भरकर सबके ऊपर फेंकना शुरू कर दियाI पानी की ठंडी बौछारों में भीगकर ख़ुशी की मारे नाचने कूदने लगेI सभी दोस्त अब गाने के साथ साथ खूब उछल उछल कर नाच रहे थे और मस्ती कर रहे थेI
पीलू की आँखों में अप्पू की अच्छाई देखकर आँसूं आ गएI वह भीगी आँखों से अप्पू के पास आया तो अप्पू उसके ऊपर पानी फेंकता हुआ बोला-"हैप्पी बर्थडे"
"थैंक यू" कहते हुआ पीलू ने कसकर अप्पू को गले से लगा लियाI
डॉ. मंजरी शुक्ला

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