नवम्बर की बाल किलकारी में मेरी कहानी "इस बार जरा हट के दिवाली"


"ईको फ्रेंडली दिवाली"
"दिवाली आने वाली हैI" चूँचूँ चूहे ने उदास होते हुए कहा
"क्या..अब हम क्या करेंगे?" हीरु तोता हरी मिर्च कुतरते हुए बोला
"कब है दिवाली?" मोती कुत्ते ने अपनी पिछली साल की जली हुई पूँछ को देखते हुए पूछा
"दस दिन बाद ही तो हैI" कालू कौवा घबराते हुए बोला
गुटरगूँ कबूतर धीरे से बोला-"पिछली बार तो पटाखों की आवाज़ से मैं और मेरे दोस्त इतना डर गए थे कि हड़बड़ाहट में एक बिजली के तार से टकरा गए थेI"
"हाँ...और तुम्हारे दोनों दोस्त करेंट लगने के कारण बच भी नहीं पाए थेI" कालू ने दुखी होते हुए कहा
नीलू गाय,मोंटू बन्दर के साथ साथ चुनमुन गिलहरी और पूसी बिल्ली भी दिवाली के अपने दुखभरे किस्से बताने लगीI
जहाँ शहर में सभी लोग दिवाली आने पर ख़ुशी से झूम उठते थे, वहीं दूसरी ओर सारे पशु पक्षी बहुत डर जाते थेI
ये सब जगमगाती दिवाली को तो बहुत पसँद करते थे पर पटाखों के नाम से थर्रा उठते थेI
बहुत देर तक एक दूसरे के साथ मिल बैठकर अपना दुःख बताने के बाद सबका मन थोड़ा हल्का हुआI
पर किसी के भी समझ नहीं आ रहा था कि आख़िर वे बच्चों को कैसे समझाए कि अगर वे उनकी तरह बोल कर उन्हें बता नहीं सकते तो क्या, चोट तो उन्हें भी लगती हैI
बहुत देर तक दिमाग लड़ाने के बाद नीलू गाय ने कुछ सोचते हुए कहा-"पर भला इंसान हमारी भाषा कैसे समझेंगे?"
"पर वे हमें इतना प्यार और दुलार भी तो करते हैI शायद वे समझ ही नहीं पाते कि वे हमें नुकसान पहुँचाने  के साथ साथ पर्यावरण को भी प्रदूषित कर रहे हैI" मोती पूँछ हिलाता हुआ बोला
"कोई तो उपाय निकालना होगाI हमें उन्हें उनकी गलती की ओर ध्यान दिलाना ही पड़ेगाI" चूँचूँ ने अपनी  महीन आवाज़ में कहा
"और क्या... कल ही मेरे मालिक कह रहे थे कि पिछली दिवाली पर उन्होंने पटाखें तो खूब जम कर फोड़े पर उसके धुएं से उनकी आँखें इतनी लाल हो गई थी कि महीने भर तक डॉक्टर से इलाज करवाना पड़ा थाI" नीलू  ने तुरंत  कहा
"दीपू साल भर तो मुझे कितना प्यार करता है, पर दिवाली के दिन दोस्तों के कहने पर मेरी पूँछ में मिर्ची बम की लड़ी बाँध देता हैI पता है जब वे तड़ातड़ फूटते चले जाते है तो मैं डर के मारे इधर-
 उधर  भागने लगता हूँ  और मुझे  कितनी सारी चोट भी लग  जाती  हैI" कहते हुए मोती की आँखों में आँसूं आ गएI
तभी मोती को दीपू आता दिखाई दियाI  उसके एक हाथ में पटाखों का थैला था और दूसरे हाथ में माचिस का पैकेट...
"अरे, ये तो फ़िर  से मेरी पूँछ में बाँधने के लिए ले आया हैI मेरा  तो मन कर रहा है अपनी पूँछ ही कटवा दूँI" मोती नीलू के पैरों के पास छुपता हुआ बोला
"तुम चिंता मत करो, अभी दो सींग मारती हूँ फिर दिवाली मनाने के लायक ही नहीं रहेगाI" नीलू गुस्से से बोली
"नहीं... नहीं, हमें किसी को भी चोट पहुँचाकर ये बात नहीं समझानी है बल्कि उन्हें उनकी गलती का एहसास दिलाते हुए बताना है कि दर्द तो सबको होता है चाहे वे इंसान हो या जानवरI" कालू ने गंभीर होते हुए कहा
"ठीक है हम सब मिलकर कुछ सोचते हैI" कहते हुए गुटरगूं अपनी  गर्दन दायें बायें हिलाने लगा
तभी कालू जोर से चिल्लाया-"आ गया आइडिया ...आ गया..."
"मैं तो पहले से ही जानता था कि तुम हम सबमें सबसे ज़्यादा  समझदार होI" चुनमुन ने खुश होते हुए  कहा
"हाँ...वो तो मैं हूँI" कालू अपनी तारीफ़ सुनकर मुस्कुराते  हुए बोला
सभी बड़े गौर से कालू की ओर देख रहे थे पर कालू मुस्कुराता ही जा रहा था
"फोटों खिंचवा रहे हो क्या?" नीलू ने गुस्से से कहा
"ओह्ह......कालू ने की चूँचूँ की तरफ़ देखते हुए कहा-"सुनो चूँचूँ, तुम  हम  सबकी  मदद  कर सकते हो  पर काम थोड़ा कठिन हैI"
"सच...मुझे हमेशा से हैरतअंगेज़ कारनामें करने में बड़ा मज़ा आता है और शायद तुम लोगों को पता ही नहीं है कि मैं जिस किताब की दूकान में रहता हूँ ना... मैं वहाँ भी बहादुरी की किताबें पढ़ता रहता हूँ और... " चूँचूँ ख़ुशी से उछलते हुए बोला 
"बस... बस... हम समझ गएI अब चुप हो जाओI" मोती गुर्राया
चूँचूँ डर के मारे सरपट दौड़ता हुआ तुरंत नीलू की पीठ पर चढ़ गयाI
"चूँचूँ, तुम्हारे किताबों की दुकान में क्या कोई ऐसी किताब भी है, जिसमें पटाखों से होने वाले नुकसान के बारें में बताया गया हो"?
"मैं शहर की सबसे बड़ी किताब की दुकान में रहता हूँI सब किताबें है वहाँ परI" चूँचूँ इतराते हुए बोला
"पर मोती तू मुझे मत देखI मुझे तेरे इन नुकीले दाँतों से बहुत डर लगता हैI डर के मारे कहीं मैं गिर ही ना जाऊँI" चूँचूँ  नीलू के सींग कसकर पकड़ते हुए बोला
मोती के साथ साथ सभी जोरों से हँस पड़ेI
हीरु बोला-"हम सब मिलकर आज वो किताब ढूँढ निकालेंगे और जब कल शाम को दीपू अपने दोस्तों के साथ रोज़ की तरह पार्क में खेलने आएगा तो वहीं पर रख देंगे?"
"क्या तुम्हें लगता है कि बच्चें किताब पढ़कर हमारा दर्द समझेंगे?" गुटरगूं ने धीरे से पूछा
इस बात का किसी के पास कोई जवाब नहीं था इसलिए सब चुपचाप बैठे रहेI
रात होने पर चूँचूँ ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर कई किताबें ढूँढ निकाली जिनमें पटाखों से होने वाले प्रदूषण और जानवरों पर होने वाले दुष्प्रभावों के बारें में जानकारियाँ दी गई थीI
चूँचूँ जब आधी रात के करीब अपने दोस्तों के साथ किताबें लेकर बाहर निकला तो उसने नेल्लू, मोती के साथ साथ सभी दोस्तों को बैठा हुआ पायाI
चूँचूँ की आँखें भर आईI सभी दिवाली आने पर इतना घबराये हुए थे कि इतनी सर्दी में भी काँपते और ठिठुरते हुए भूखे प्यासे दुकान के बाहर ही बैठे थेI
चूँचूँ और उसके साथियों के हाथ में किताबें देखकर सब के चेहरे ख़ुशी से खिल उठेI
मोती बोला-"सारी किताबों के पार्क के पुराने वाले गेट के पास ही रख देते है, जहाँ कोई आता जाता नहीं है और सुबह वहीं से उठाकर बेंचों पर रख देंगेI"
"हाँ...अभी ही रख देते हैI छुट्टियों के कारण बच्चों के साथ साथ उनके मम्मी-डैडी भी आएँगे तो सब ही पढ़ लेंगेI"
"क्या ज़माना आ गया हैI मेरा जो दोस्त है ना जम्बो हाथी, वो बता रहा था कि सर्कस में उसे बहुत सारी चीज़ें सिखाई जाती है और यहाँ तो हमें ही इंसानों को अच्छी बातें सिखानी पड़ रही हैI" हीरु ने हँसते हुए कहा
उसकी बात सुनकर सभी मुस्कुरा उठे
अगली सुबह जैसे ही बच्चों के पार्क में आने का समय हुआ तो सभी ने मिलकर किताबें बच्चों पर रख दी और थोड़ी दूरी पर खड़े हो गएI
दीपू उछलते कूदते हुए अपने दोस्तों के साथ आया तो उसकी और उसके दोस्तों कि नज़र किताबों पर पड़ीI
"अरे, यहाँ ये किताबें कौन छोड़ गया?" कहते हुए दीपू ने पन्ने पलटने शुरू कियेI
पटाखों से होने वाले धुएँ और प्रदूषण से पशु पक्षियों को ठीक से दिखाई नहीं देता और वे ज़ख्मीं हो जाते हैI"मोनू ने एक किताब के पन्ने पलटते हुए कहा
डॉक्टरों के अनुसार 120 डिसिबल से अधिक की आवाज व्यक्ति को बहरा तक बना सकती हैI पटाखों की तेज आवाज ना केवल इंसानों के लिए बल्कि पशु -पक्षियों के लिए भी बेहद नुकसानदायक हैI बहुत सारे नन्हें पक्षी तो डर के कारण मर जाते हैI" रिंकू ने आश्चर्यचकित होते हुए कहा
"और कई पक्षी तो घबराहट के कारण  इधर उधर उड़ते हुए बिजली के तारों से करंट खाकर मर जाते हैI" संजय दुखी होते हुए बोला
"मैं अब पटाखें नहीं छुड़ाऊंगाI मैं हीरु को बहुत प्यार करता हूँI" मोनू रुआँसा होता हुआ बोला 
"पालतू जानवरों पर तो इसका असर साफ़ देखा जा सकता हैI  कई बार तो उनके फेफड़े ठीक से काम करना बंद कर देते हैI" दीपू कहते हुए बैंच पर बैठ गया
"क्या हुआ?" मोनू ने दीपू के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा
"अनजाने में ही सही पर हम सबने अपने मनोरंजन के आगे कभी कुछ नहीं सोचाI मैंने तो बेचारे मोती की पूँछ में पटाखे तक बाँध दिए थेI याद है एक बार वो डर के कारण इतना तेज दौड़ा कि गड्ढे में गिर पड़ा था कितने दिनों तक लंगड़ा कर चला थाI" कहते हुए दीपू भरभराकर रो पड़ाI
"रो मत दीपू, हम आज ही ये पटाखें वापस करके "ईको फ्रेंडली पटाखें" ले आएँगेI इन किताबों  में उनके बारें में भी लिखा हैI"
हाँ..और अपने बाकी दोस्तों को भी इस बारें में बता देते है ऐसी भी क्या दिवाली मनाना कि हम सब तरफ़ प्रदूषण फैला दे और बेचारे बेज़ुबान जानवरों को इतनी चोट पहुँचाएँI" सोनू उदास होते हुए बोला
"पर ये सब किताबें यहाँ लाया कौन है?" रिंकू ने कहा
"ये तो पता नहीं, पर हम इन्हें अपनी लाइब्रेरी में रख देते है ताकि सारे बच्चे पढ़ लेI" दीपू ने किताबें समेटते हुए कहा
सभी दोस्त किताब लेकर जैसे ही पार्क के बाहर निकले उन्हें मोती, हीरु के साथ साथ सभी जानवर बैठे दिखाई दिएI
दीपू मोती के पास जाकर उसके गले लग गया और उसके ऊपर प्यार से हाथ फेरते हुए बोला-"सॉरी मोतीI"  
मोती ने अपने दोस्तों की और देखा तो सभी मुस्कुरा उठेI
मोती की आँखों से दो आँसूं टपक गए, पर उसके सब दोस्त जानते थे कि ये उनके दोस्त के ख़ुशी के आँसूं हैI      
डॉ. मंजरी  शुक्ला


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