मेरी बाल कहानी :सिल्लू और चीनू गर्मी की छुट्टियों में अपनी दादी की यहाँ गाँव आये हुए थे और दादी से रोज तरह तरह की फरमाइश करते थे I 
आज भी दोनों को सुबह से चैन नहीं था और दोनों अपनी ढपली अपना राग लगाये हुए थे I 
"ना ना...हम लोग तो बगीचे में चलकर आम खायेंगे"...सिल्लू जिद करते हुए बोला 
"नहीं दादी.मुझे तो आपके हाथों कि बनी हुई मीठी लस्सी ही पीनी हैं"...कहते हुए चीनू थोड़ा प्यार से इतराई
मैं देखता हूँ कि कैसे पीती हैं तू लस्सी...सिल्लू उसका हाथ मरोड़ते हुए बोला
बचाओ दादी..बचाओ..कहते हुए चीनू गला फाड़कर चिल्लाने लगी
ओफ्फो, तुम दोनों भाई बहन को सिवा लड़ाई झगडे के कोई काम हैं या नहीं..कहते हुए दादी ने दोनों को खींच तानकर अलग करते हुए कहा
दादी की डाँट सुनकर दोनो एक साथ कान पकड़कर बोले-" सॉरी दादी"
और यह सुनकर दादी मुस्कुराते हुए बोली-" पहले मैं चीनू के लिए मीठी मीठी ताजे दही की स्पेशल लस्सी बनाऊँगी और उसके बाद हम लोग सिल्लू के लिए बगीचे में चलकर आम तोड़ेंगे I
हुर्रे! कहता हुआ सिल्लू ख़ुशी से उछल पड़ा
"पर क्या आपको सच में आम तोडना आता हैं दादी ?" सिल्लू आँखों को गोल गोल नाचते हुए पूछा
हाँ हाँ ,क्यों नहीं...बचपन में हम लोग गरमियाँ तो आम की पेड़ पर ही काटते थे ..और यह कहकर दादी जोरो से हँस पड़ी I
फ़िर दादी मुस्कुराते हुए बोली-" पहले मैं चीनू के लिए मीठी मीठी ताजे दही की स्पेशल लस्सी बनाऊँगी और उसके बाद हम लोग सिल्लू के लिए बगीचे में चलकर आम तोड़ेंगे I "
हुर्रे! कहता हुआ सिल्लू ख़ुशी से उछल पड़ा
चीनू ने फटाफट लस्सी का गिलास खत्म किया और दादी और सिल्लू की साथ बगीचे की तरफ़ चल दी I
बगीचे में जाकर ,रसभरे पीले -पीले आमों को नाजुक सी हरी डालियों पर लटकते देख कर सिल्लू के मुहँ में पानी आ गया I वह बिलकुल नन्हें बच्चें की तरह मचलते हुए बोला-" दादी ,चलो..जल्दी से पेड़ पर मुझे चढ़ना सिखा दो ताकि मै फटाफट ढेर सारे आम खा सकू I "
यह सुनकर दादी के साथ चीनू भी जोरो से ठहाका मार कर हंस पड़ी I दादी हँसते हुए बोली-" अरे, एक मिनट में कोई थोड़ी ना आ जाता हैं पेड़ पर चढ़ना ..हम लोग तो रोज गिरते पड़ते थे तब जाकर बन्दर की तरह लपक के सबसे ऊँची डाली पर चढ़ जाते थे I "
यह सुनकर सिल्लू लड़ियाते हुए बोला-" फिर हम आम कैसे तोड़ेंगे?"
दादी बोली -" अरे, माली काका तोड़ देंगे तुम्हारे लिए ढेर सारे आम I वो यही कहीं बगीचे में होंगे I
चीनू बोली -" मैं जोर से आवाज़ लगाकर उन्हें बुलाती हूँ I "
और चीनू अपने हाथों को मुहँ के पास ले जाकर जोर से चिल्लाई- " माली काका "
" आवत हैं बिटिया, इत्ती जोर से भी ना बुलावा करो कि हमका दिल अटैक हो जाए I "
हीहीही..माली काका की बात सुनकर सिल्लू और चीनू जोर से हँस पड़े I
सिल्लू थोड़ा ज्यादा ही नटखट था इसलिए वो हँसते हुए दिल पर हाथ रखकर गिरने की एक्टिंग करते हुए बोला-" माली काका ने तो डॉक्टरों के लिए एक नया ही अटेक बना दिया I "
दादी माँ भी अपनी हँसी नहीं रोक पा रही थी पर माली काका के सामने वो बनावटी गुस्से से सिल्लू को डाँटते हुए बोली-" सिल्लू, तुम्हें अगर आम खाने हैं तो जल्दी से माली काका के साथ चले जाओ I वरना अभी थोड़ी ही देर में यहाँ बन्दर आ जायेंगे तो तुम सर पर पाँव रखकर भागते नज़र आओगे I "
अब हँसने की बारी माली काका की थी I वो सिल्लू से मुस्कुराते हुए बोले-" इतने बड़े हो गए हो और बंदरों से डरते हो I "
सिल्लू बंदरों से सच में बहुत डरता था, जबसे उसके हाथ से एक बड़ा सा बन्दर केला छीन के ले गया था Iउसने चोर नज़रों से इधर उधर देखा और बंदरों को अपने आस पास नहीं देखकर ऊँचे स्वर में बोला-" मैं नहीं डरता किसी बन्दर वंदर से...चलिए पर हम लोग जल्दी से आम तोड़ लाते हैं और यह कहकर उसने डर के मारे माली काका का हाथ पकड़ लिया और चल दिया आम तोड़ने I
दादी माँ और चीनू का तो हँसते हँसते बुरा हाल था I
दादी माँ बोली-" अब हम दोनों नदी के किनारे चलकर मछलियों को आटे की गोलियां डालेंगे I "
चीनू ख़ुशी से उछल पड़ी और उनके साथ साथ मछलियों के बारे में ढेर सारी बातें करते हुए चलने लगी I
जैसे ही दादी नदी के पास जाकर बैठी तो शीशे जैसे जगमगाते पानी में तैरती ढेरों मछलियाँ उनके पास आ गई I
चीनू आश्चर्य से कभी दादी को तो कभी मछलियों की तरफ़ देखने लगी कि कैसे दादी नन्ही नन्ही आटे की गोलियाँ बनाकर नदी में फ़ेंक रही थी और रंगबिरंगी मछलियाँ उन्हें अपने मुहँ में दबाकर नदी के अंदर वापस जा रही थी I
कुछ गोलियाँ चीनू ने भी मछलियों की ओर फेंकी, जिन्हें देखकर मछलियाँ उन्हें पकड़ने की लिए लपकी और फ़िर उन्हें मुहँ में लेकर इधर उधर तैरने लगी I
जब आटा खत्म हो गया तो वे वापस बगीचे की ओर चीनू को लेने के लिए चल पड़े I चीनू ने बड़े आश्चर्य से पूछा -" पर हमारे शहर की नदियों में तो मछलियाँ दिखाई ही नहीं देती ओर वहाँ का पानी भी कितना गन्दा होता हैं बिलकुल काला I "
दादी ये सुनकर दुःख भरे स्वर में बोली-" लोग शहर का सारा कूड़ा करकट और मरे हुए जानवर नदी में डाल देते हैं I जिसके कारण दूषित पानी में मछलियाँ आक्सीज़न की कमी से जीवित रह ही नहीं पाती I "
चीनू ने बड़ी ही मासूमियत से पूछा- " मम्मी भी तो मोहल्ले की सभी आंटियों के साथ जाकर फूल -पत्ती, अगरबत्ती के पैकेट जाकर सब नदी में ड़ाल आती हैं , वो भी तो हमारी यमुना नदी को गन्दा कर रही हैं I "
दादी चीनू की सच्चाई और समझदारी देखकर खुश होते हुए बोली- " प्रत्येक अच्छे काम की शुरुआत हम खुद को सुधार कर ही कर सकते हैं I मम्मी से कहना कि गड्ढा खोदकर उसमे ये सब फूल पत्ती डाल दिया करे और मैं तुम्हें कुछ किताबे लाकर दूंगी जिनमें हमें नदियों और पर्यावरण को बचाने के बारें में ढेर सारी जानकारियाँ मिलेंगी जिन्हें तुम अपने संगी साथियों को भी बताना I
हाँ..जरुर बताऊंगी कहते हुए चीनू के चेहरे पर बाल सुलभ मुस्कान तैर गई I
तभी सिल्लू माली काका के साथ ढेर सारे आम लाता हुआ दिखा I
सिल्लू बोला-" माली काका ने आज मुझे पेड़ लगाना सिखाया और कहा हमें हर साल एक पेड़ जरुर लगाना चाहिए I
चीनू बोली-" मैं भी तुम्हारे साथ पेड़ लगाऊंगी ..मैं दो पेड़ लगाऊंगी ..
सिल्लू हँसा -" मैं तीन पेड़ लगाऊंगा I "
और उन दोनों को देख दादी सोच रही थी बच्चे तो कच्ची मिट्टी के घड़े सामान होते हैं अगर उन्हें अच्छी बातें सिखाई जाए तो वो उन्हें करने के लिए तुरंत तत्पर हो जाते हैं I ये तो हम बड़े ही हैं जो धीरे धीरे मशीन बने जा रहे हैं और बच्चों को भी स्कूल के सिलेबस खत्म करने के अलावा और कोई ज्ञान नहीं देते हैं I "
तभी उनका ध्यान चीनू पर गया जो सिल्लू के साथ पूरे मुहँ में आम का रस जहाँ तहाँ लगाये बड़े मजे से आम चूस रही थी और माली काका उन्हें देख कर बड़े प्यार से मुस्कुरा रहे थे I दादी को भी जैसे अपना बचपन याद आ गया और वो भी शामिल हो गईं बच्चों के साथ "आम चूसो पार्टी " में .....
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