आज के पंजाब केसरी में मेरी कहानी "चींचीं चुहिया का इंटरनेट"
पूरे घर में चींचीं चुहिया सरपट दौड़ रही थीI इतनी तेज रेस लगाने के बाद भी वह रीना से आगे नहीं निकल पा रही थीI उधर रीना एक हाथ में डंडा लिए चिल्ला रही थी-“आज इस चुहिया का इस घर में आख़िरी दिन हैI”
चींचीं डर से काँपते हुए बोली-“डंडा लेकर दौड़ा रही हो, ये क्या कम है जो साथ साथ रन्निंग कमेंट्री भी चालू हैI”
तभी दरवाज़े की घंटी बजीI
एक पल के लिए रीना का ध्यान हटा कि चींची सीधा अपने बिल में…
रीना ने सोफ़े के नीचे से लेकर कुर्सी के पाएँ तक को उठाकर देख लिया, पर सब बेकार
रीना गुस्से से पैर पटकती हुई दरवाज़ा खोलने के लिए चल दी और उधर चींचीं अपने बिल में, आराम से बैठे हुए, पँखा चलाकर शरबत की चुस्कियाँ ले रही थीI
सामने उसके तीनों बच्चे बिल्लू, सिल्लू और टिल्लू बैठे हुए उसे देख रहे थेI
बिल्लू बोला-"आपको हमारे कारण बहुत मेहनत करनी पड़ती हैI"
"हाँ, मैंने झाँककर देखा था कि आज तो आपको रीना आंटी बस पकड़ने ही वाली थी, वो तो दरवाज़े की घंटी बज गई तो आप बच गईI"
"अब आप कल से मत परेशान होनाI हम बिना इंटरनेट के भी तो पढ़ाई कर ही रहे है नाI" मिल्लू ने बड़े ही प्यार से कहा
बच्चों का प्यार देखकर चींचीं मुस्कुरा दी और बोली-"इंटरनेट लग जाएगा तो तुम लोग देश विदेश की बातें जान जाओगे और वो पढ़ाई में भी बहुत काम आएगाI"
"हाँ, ये बात तो सच हैI पर किसी चूहे के घर अभी तक इंटरनेट लगा नहीं हैI" टिल्लू बोला
"तो क्या हुआ, हम लोग शुरुआत करेंगेI हम लोग "सर आइज़क न्यूटन" बनेंगेI चींची अपनी पतली मूंछों पर ताव देते हुए बोली
टिल्लू हँसते हुए बोला-"मम्मी, हम इंटरनेट की खोज नहीं कर रहे है बल्कि उसे अपने घर में लगा रहे हैI"
चींची कुर्सी से कूदती हुई बोली-"शरबत पीकर तो मुझमें तरावट आ गईI मैं जरा जाकर देखती हूँ कि इंटरनेट का तार कैसे लाऊँ!"
"अरे, मम्मी, रुको तो ..." मिल्लू चिल्लाया
"हाँ, आप पूरी बात तो सुनो ..." सिल्लू कूदते हुए बोला
पर भला चींचीं को किसी की बात सुनने के फुर्सत कहाँ थीI वह तो झट इधर और पट उधर करते हुए सीधे बिल के बाहर चली गई और सीधा जाकर निकली स्टोर रूम में...
छुपते छुपाते जब वह मोंटू के कमरे में पहुंची तो उसे देखकर खुश हो गईI मोंटू था तो छोटा सा बच्चा पर उसे अपनी मम्मी की तरह मारकर नहीं भगाता था बल्कि खुश होकर ताली बजाने लगता थाI
चींचीं का डर कुछ कम हुआI
उसने इधर उधर देखा और उसे इंटरनेट के तार दिख गयाI
वह धीरे से बोली-"मोंटू, मैंने तुम्हारे घर का कभी कोई नुकसान नहीं किया हैI पर मैंने तुम्हारी ही मम्मी के मुँह से सुना है कि घर में इंटरनेट जरूर होना चाहिए, इसलिए ये तार काटकर ले जा रही हूँI पापा से कहकर दूसरा मँगवा लेनाI"
और यह कहकर चींचीं ने तार का टुकड़ा काटा और मुँह में दबाकर बिल की ओर भाग गईI
मोंटू चींची की बात तो नहीं समझा पर इंटरनेट का कनेक्शन चले जाने से, कम्प्यूटर की स्क्रीन में, आकाश में उड़ता कबूतर हवा में ही रुकता देख वह जोर-जोर से रोने लगाI
उधर चींचीं सरपट भागे जा रही थीI
अपने बिल में पहुँचकर वह ख़ुशी से नाचते हुए बोली-"इंटरनेट आ गया! इंटरनेट आ गयाI"
टिल्लू, सिल्लू और मिल्लू मम्मी को भौचक्का होकर देखे जा रहे थेI
अचानक तीनों ने एक दूसरे की ओर देखा ओर मुस्कुरा दिएI अब वे भी मम्मी के साथ साथ पेट पकड़कर हँसे जा रहे थे और हँसी के मारे ये भी नहीं बता पा रहे थे कि घर में कम्प्यूटर तो है ही नहीं...
डॉ. मंजरी शुक्ला

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